खांसी-जुकाम में बच्चों की देखभाल और बचाव ऐसे करें

खांसी-जुकाम में बच्चों की देखभाल और बचाव ऐसे करें

सेहतराग टीम

जुकाम बच्चों की आम तकलीफ है। पांच साल से छोटी आयु के बच्चों को आमतौर पर एक साल में पांच से आठ बार जुकाम होता है। इसके साथ-साथ हल्का बुखार व खांसी भी होती है।

कारण:

अधिकतर जुकाम का कारण वायरल संक्रमण होता है। यह संक्रमण बच्चों में घर के संक्रमित सदस्यों से या स्कूल में अन्य संक्रमित बच्चों से लग सकता है। यही कारण है कि घर में रहने वाले  बच्चों के बजाय स्कूल जाने वाले बच्चों में यह संक्रमण अधिक होता है।

परेशानी व इलाज:

1- सामान्य तौर वायरल जुकाम के कारण हल्का बुखार दो-तीन दिन, बहती नाक व मामूली खांसी एक सप्ताह तक रहता है।

2- जुकाम वायरल संक्रमण से होने के कारण इसका कोई इलाज नहीं है। दो सौ से अधिक अलग-अलग वायरस बार-बार यह संक्रमण कर सकते हैं। जहां तक हो सके, इसे खुद ही खत्म हो जाने देना चाहिए। किसी भी प्रकार की जुकाम रोकने या दबाने की दवा न दें। बुखार कम करने के लिए एक दो दिन पैरासिटामोल दे सकते हैं।

3- दो साल में छोटी आयु के बच्चों में यह कई जटिलताएं उत्पन्न कर सकता है।

  • जुकाम बंद होने के कारण छोटा बच्चा दूध नहीं पी पाता है। इससे उसमें पानी की कमी, कमजोरी एवं सुस्ती हो सकती है।
  • कई बार दो-तीन दिन के भीतर यह संक्रमण नाक से चलकर फेफड़ों में पहुंच वायरल निमोनिया कर देता है। इससे सांस लेने में मुश्किल हो सकती है।

उपाय:

1- बुखार के लिए पैरासिटामोल का उपयोग करें। एस्प्रिन का उपयोग बिलकुल न करें। जुकाम कम करने वाली या जुकाम दबाने वाली दवाइयां जहां तक हो सके बच्चों को न दें। वायरल के बुखार को खुद ही समाप्त होने दें।

2- बंद नाक से परेशान बच्चे की नाक में नेज़ल सैलाइन ड्रॉप्स डालें। ये केमिस्ट के पास उपलब्ध होती हैं। इन्हें घर पर साफ उबले पानी के एक गिलास में एक चौथाई चम्मच नमक घोलकर भी बनाया जा सकता है। यह आंसू के समान नामकीन होना चाहिए। इसकी 5-6 बूंदे बच्चे की नाक के दोनों छेदों में लिटाकर डालें। फिर एक मिनट तक इंतजार करें। इसके बाद कंधे पर लगाकर बच्चे की पीठ थपकाएं या रबर बल्ब के द्वारा नाक में फसें कण खींच लें। रुमाल के एक कोने से भी नाक साफ कर सकते हैं। जब-जब शिशु या छोटा बच्चा बंद नाक से सूड़-सूड़ की आवाज कर रहा हो। या नाक में कुछ फंसा दिखाई दे रहा हो, तब-तब उसकी नाक की इस विधि से सफाई करें बच्चे की नाक खुलते ही वह एक दम से राहत महसूस करता है।

3- यदि बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो रही हो तो तुरंत डॉ. से संपर्क करें। बच्चे को अस्पताल में एडमिट कराना पड़ सकता है।

यदि जुकाम से ठीक हो रहे बच्चे को दोबारा तेज बुखार आने लगे, कान या गले में दर्द बताए, खाना न खाए या सुस्त हो जाए, तो यह सेकेंडरी बैक्टिरियल इंफेक्शन के लक्षण हो सकते हैं। वैसे तो यह किसी भी बच्चे में हो सकता है, पर यह गरम मौसम, वायु के कम संचार वाले घरों में रहने वाले व भीड़-भाड़वाले स्कूलों में जा रहे बच्चों में ज्यादा होता है। यदि इसके लक्षण लगें तो डॉ से मिलें।

बचाव:

1- घर में साफ-सफाई रखें। रो फिनाइल का पोछां लगाएं।

2- घर में तजि वायु का संचार-प्रवाह की अच्छी व्यवस्था करें। खिड़कियां दरवाजे खुले रखें। जिससे घर में ताजी हवा आती रहे और पुरानी हवा बाहर निकलती रहे।

3- बच्चे, बड़े, सभी लोग साबुन से हाथ धोने की आदत डालें। यह जुकाम, दस्त व अन्य संक्रामक रोगों को रोकने में सहायक है।

4- यदि किसी को बीड़ी सिगरेट पीने की आदत है तो इसे छोड़ें या इसका उपयोग घर से दूर करें।

5- रात को सोने पहले व सुबह स्कूल जाने से पहले बच्चों से दांत साफ करवाएं। गरारे भी करवा सकतें हैं।

डॉक्टर से मिलकर पता लागएं कि बार-बार हो रहा खांसी-जुकाम किसी एलेर्जी के कारण तो नहीं है। बहती नाक के साथ यदि ये लक्षण हों तो इसका कारण एलेर्जी है।

1- नाक, आंख या कान में खुजली होना।

2- बार-बार छींकना।

3- आखें लाल होना और उसमें पानी आना।

4- घर में किसी और को भी एलेर्जी या दमा होना।

ये सभी जानकारियां आपके बच्चों की देखभाल करने में मददगार हैं। लेकिन जब भी जरूरत पड़े डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।

(यह आलेख प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किताब शिशु हेल्थ गाइड से साभार लिया गया है। यह किताब डॉ. आलोख खन्ना और डॉ. विजय लक्ष्मी सूद द्वारा लिखी गयी है।)

 

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